एनॉमली स्कैन क्या है और क्यों किया जाता है|Anomaly scan test in pregnancy in Hindi

एनॉमली स्कैन क्या है और क्यों किया जाता है|Anomaly scan test in pregnancy in Hindi 

आज के इस पोस्ट “Anomaly scan in Hindi ” के माध्यम से आप जानेंगे कि Anomaly scan क्या है और यह क्यों किया जाता है. एनॉमली स्कैन कब कराना चाहिए, एनॉमली स्कैन कराने का खर्च कितना पड़ता है और इस टेस्ट से पहले क्या करना चाहिए. इसके अलावा आप जानेंगे कि यह टेस्ट प्रेगनेंसी के दौरान क्यों कराया जाता है. इसलिए आशा करता हूं कि आप इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ेगें और समझेंगें. 

एनॉमली स्कैन क्या है और क्यों किया जाता है|Anomaly scan test in pregnancy in Hindi
Anomaly scan in Hindi. 

    प्रेगनेंसी शुरू होने के साथ ही कई तरह की समस्याए होने लगती है और इस दौरान मां और बच्चे की सेहत की जांच करने के लिए कई तरह के टेस्ट और स्कैन भी कराए जाते हैं। प्रेगनेंसी के 18वें सप्ताह से 21वें सप्ताह के बीच किये जाने वाले टेस्ट को मिड प्रेगनेंसी टेस्ट के नाम से जाना जाता है और इस टेस्ट को मेडिकल साइंस की भाषा में एनॉमली स्कैन (Anomaly Scan) कहा जाता है। इसे level 2 ultrasound या ultrasound II भी कहा जाता है. 

     एनॉमली स्कैन के समय तक गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों का विकास शुरू हो जाता है और ऐसे समय में बच्चे की सेहत और उसके शरीर की जांच करने के लिए यह स्कैन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए आइए जानते हैं इस टेस्ट के बारे में विस्तार से –

    एनॉमली स्कैन क्या है ? (What Is Anomaly Scan in Hindi )

    Pregnancy के 18 से 21 सप्ताह के बीच यानी मिड प्रेगनेंसी के दौरान यह टेस्ट किया जाता है। यह एक प्रकार का ultrasound test है जिसके जरिए गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत की पूरी जांच की जाती है। इस टेस्ट में भ्रूण के शरीर के सभी अंगों की गहराई से जांच होती है। एनॉमली स्कैन में गर्भ में पल रहे बच्चे की प्लेसेंटा की स्थिति का पता लगाते हैं और एमनियोटिक द्रव की मात्रा की जांच की जाती है और उसके शरीर के विकास के बारे में जानकारी ली जाती है। 

    अगर इस जांच के दौरान बच्चे की सेहत में कोई गड़बड़ी दिखती है तो चिकित्सक उसका इलाज करते हैं। इस जांच के माध्यम से आप बच्चे की सेहत का सही अंदाजा लगाकर समय रहते उसका निवारण भी कर सकते हैं।

    एनॉमली स्कैन क्या पता चलता है? (What Does Anomaly scan detect) –

    अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ अर्थात सोनोग्राफर द्वारा इस जांच को अंजाम दिया जाता है। इस टेस्ट से बच्चे की पूरी शरीर की जांच की जाती है और उसके स्वास्थ्य की स्थितियों का पता लगाया जाता है। भविष्य में बच्चे को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या न हो इसका भी पता इस टेस्ट के माध्यम से लगाया जाता है। एनॉमली स्कैन या मिड प्रेगनेंसी स्कैन के जरिए बच्चे के शरीर के इन अंगों की जांच की जाती है। जैसे –

    • बच्चे सिर और मस्तिष्क की जांच।
    • बच्चे के हृदय की जांच।
    • उसके पेट और आंतों की जांच।
    • चेहरे और होंठ की जांच।
    • किडनी और मूत्राशय की जांच।
    • प्लेसेंटा की स्थिति।
    • बच्चे के मुक्त संचलन के लिए एमनियोटिक द्रव की जांच।
    • बच्चे की रीढ़ की हड्डी यानी स्पाइनल कॉर्ड की जांच।
    • इसके अलावा शरीर के कई अंगों की गहन जांच।

    क्यों कराना चाहिए एनॉमली स्कैन? (Reason To Have Anomaly Test)

    मिड प्रेगनेंसी स्कैन या एनॉमली स्कैन जांच इन कारणों से जरूर करानी चाहिए –

    • गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य की स्थिति जानने के लिए।
    • गर्भ में पल रहे बच्चे जुड़वां हैं या नहीं इसकी जांच के लिए।
    • बच्चे में जन्मदोष की स्थिति का पता लगाने के लिए।
    • बच्चे के शरीर के अंगों के विकास की स्थिति के बारे में जानकारी लेने के लिए।
    • गुणसूत्र संबंधी समस्याओं की संभावना को जानने के लिए।

    क्या मुझे एनॉमली स्कैन के लिए तैयारी करनी होगी?

    पहली तिमाही के स्कैन के विपरीत इस स्कैन के लिए आपका मूत्राशय भरा हुआ होना जरुरी नहीं है। आपका शिशु अब इतना बड़ा है और पेट में इतना ऊपर की तरफ है कि उसे पेट से किए जाने वाले स्कैन में स्पष्टता से देखा जा सकता है।

    स्कैन के लिए आपको अपना पेट अनावरित करना होगा, इसलिए बेहतर है कि आप ढीले-ढाले कपड़े पहनें। सलवार-कमीज या गर्भावस्था की विशेष पैंट और टॉप इस अवसर के लिए सही रहते हैं। इससे अल्ट्रासाउंड डॉक्टर आपके पेट पर आसानी से स्कैन कर सकेंगी। आप भी इन कपड़ों में ज्यादा आरामदायक महसूस करेंगी, क्योंकि आपको इससे सारे कपड़े नहीं उतारने पड़ेंगे।

    कितना सटीक होता है एनॉमली स्कैन? (How Anomaly Scan Accurate)

    स्वास्थ्य की स्थितियों का पता लगाने के लिए की जाने वाली कोई भी स्क्रीनिंग 100 प्रतिशत सटीक नहीं हो सकती है। हां जांच के बाद चिकित्सक को शरीर में उत्पन्न हो रही समस्याओं के बारे में जानकारी जरूर जुटा सकते हैं। एनॉमली स्कैन के जरिए भी गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास और उसके शरीर के अंगों की स्थिति के बारे में पता लगाया जाता है। 

    इस स्क्रीनिंग के जरिए मिलने वाली जानकारी के आधार पर चिकित्सक यह बता सकते हैं कि आपके गर्भ में पल रहा बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है या नहीं। हालांकि कुछ कारणों से टेस्ट के बाद भी बच्चे में कुछ समस्याएं हो सकती हैं। इस टेस्ट के जरिए इन चीजों पर फोकस किया जाता है। 

    • गर्भ में बच्चे का स्वास्थ्य। 
    • बच्चे के हृदय की जांच। 
    • प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली समस्याओं का आकलन। 
    • बच्चे की स्थिति। 

    एनॉमली स्कैन से किन स्थितियों का पता लगाया जा सकता है? 

    एनॉमली स्कैन या मिड प्रेगनेंसी टेस्ट के जरिए सोनोग्राफर गर्भ में पल रहे बच्चे के शरीर में इन चीजों का पता लगा सकते हैं। जैसे –

    • सिर और मस्तिष्क के बारे में  98 प्रतिशत तक जानकारी।
    • चेहरे और होंठ की 75 प्रतिशत जानकारी।
    • अंगों के विकास के बारे में 60 प्रतिशत सटीक जानकारी।
    • रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं के बारे में 90 प्रतिशत तक की जानकारी।
    • किडनी से जुड़ी समस्याओं के बारे में 84 प्रतिशत तक जानकारी।
    • हृदय की प्रमुख समस्याओं के बारे में 50 प्रतिशत जानकारी।

    आमतौर पर एनॉमली स्कैन या मिड प्रेगनेंसी टेस्ट कराना अनिवार्य नहीं होता है लेकिन डॉक्टर इसकी सलाह गर्भ में पल रहे बच्चे की स्थिति का पता लगाने के लिए देते हैं। इस टेस्ट के माध्यम से आपको गर्भ में पल रहे बच्चे की स्थिति और उसके स्वास्थ्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है। इसके अलावा बच्चे में भविष्य में होने वाली समस्याओं का अंदाजा भी इस टेस्ट के माध्यम से लगाया जा सकता है। 

    यह लगभग 20 मिनट में होने वाला एक अल्ट्रासाउंड टेस्ट है जिसमें सोनोग्राफर अल्ट्रासाउंड प्रोब या ट्रासड्यूसर को पेट पर घुमाकर गर्भ में पल रहे बच्चे की स्थिति की जांच करते हैं। इसे एक जोखिम रहित प्रक्रिया माना जाता है। एनॉमली स्कैन के बाद अगर बच्चे के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं सामने आती हैं तो उसे बेहतर ढंग से समझने के लिए चिकित्सक कुछ और जांच की सलाह दे सकते हैं। 

    अगर बच्चे के शरीर में किसी भी तरह की समस्या का पता चलता है तो उसके लिए चिकित्सक मौजूद उपचार विकल्पों का सहारा लेते हैं। कुछ मामलों में डॉक्टर बच्चे के जन्म के बाद उसका इलाज शुरू कर सकते हैं। एनॉमली स्कैन या मिड प्रेगनेंसी टेस्ट से जुड़ी अन्य बातों की जानकारी के लिए आप एक्सपर्ट डॉक्टर की सलाह ले सकती हैं।

    एनॉमली स्कैन का क्या परिणाम होता है?

    एनॉमली स्कैन परिणाम गर्भ में बच्चे की प्रगति को दर्शाता है और बच्चे का विकास ग्राफ को निर्धारित करने में मदद करता है। परिणाम या तो स्थिति को सामान्य दिखाएंगे या फिर बच्चे में पाए जाने वाली असामान्यताओं को ओर इशारा करेगा। यदि बच्चे के विकास से जुड़े उनमें कोई दोषों पाए जाते हैं, तो आपके डॉक्टर इसके लिए सुधारात्मक कार्रवाई करेंगे।

    एनॉमली स्कैन के द्वारा कौन सी असामान्यताओं का पता लगाया जाता है?

    अवलोकनों की एक सूची मौजूद है, जो स्कैन करते समय सोनोग्राफर द्वारा देखे जाते हैं, जिसमे बच्चे के सिर से पैर तक सारी चीजें मौजूद होती हैं। भ्रूण में पाई जाने वाली असामान्यताएं आम हो सकती हैं जिनका आपके बच्चे के जन्म के बाद इलाज किया जा सकता है। यदि वे गंभीर हैं, तो उनपर तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता होती है।

    यहाँ कुछ असामान्यताएं हैं जिन्हें एनॉमली स्कैन में पता लगाया जाता है –

    • क्लेफ्ट होंठ
    • स्पाइना बिफिडा (रीढ़ की हड्डी का दोष)
    • हृदय की समस्याएं ,गुर्दे से संबंधित समस्याएं
    • एनेस्थली, या सिर के शीर्ष का न होना
    • अंगों में समस्या 

    जबकि स्कैन असामान्यताओं को खोजने के उद्देश्य से किया जाता है, लेकिन शिशु में इसमें से पाई जाने वाली कोई भी असामान्यताओं का पता लगाना उतना आसान नहीं होता है। 

    उदाहरण के लिए, 

    यदि ऐब्डामनल वॉल, गुर्दे, अंगों या रीढ़ की हड्डी के साथ किसी प्रकार की कोई समस्या होती है, तो काफी संभावना है कि इस स्कैन से उसका पता लगाया जा सके । लेकिन दिल में स्पॉटिंग दोष की संभावना या यह आकलन करना कि क्या मांसपेशियों में कोई छेद तो नहीं है जो छाती और पेट को अलग करता है, व मस्तिष्क में अतिरिक्त द्रव निर्माण आदि का पता लगाना तुलनात्मक रूप से ज्यादा मुश्किल होता है।

    यदि कोई असामान्यता दिखाई देती है, तो सोनोग्राफर रिपोर्ट के अवलोकन की पुष्टि करने के लिए किसी दूसरे विषेशज्ञ को इस रिपोर्ट की जाँच करने के लिए दे सकते हैं ताकि इसपर 

    एनॉमली स्कैन परीक्षण कैसे किया जाता है?

    एनॉमली स्कैन को प्रशिक्षित सोनोग्राफर्स की देखरेख में कुछ इस प्रकार किया जाता है –

    • आपको एक बेड पर पीठ के बल लेटाया जाएगा।
    • सोनोग्राफर आपके पेट पर एक जेल लगाएगा, ताकि अल्ट्रासाउंड प्रोब और आपकी त्वचा के बीच अच्छा संपर्क बना रहे और भ्रूण साफ तरीके से दिख सके।
    • इसके बाद अल्ट्रासाउंड प्रोब को आपके पेट पर घुमाया जाएगा और भ्रूण की अल्ट्रासाउंड तस्वीर कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखने लगेगी।
    • भ्रूण की साफ तस्वीर पाने के लिए सोनोग्राफर पेट पर थोड़ा दबाव डाल सकता है, लेकिन इससे आपको या गर्भ में पल रहे शिशु को कोई तकलीफ नहीं होगी।
    • पूरी तरह से स्कैन होने में लगभग 30- 60 मिनट लगेंगे और स्कैन होने के बाद सोनोग्राफर टिश्यू पेपर से जेल को साफ कर देगा।
    • कुछ मामलों में भ्रूण की तस्वीर साफ नहीं आती, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। इसके पीछे निम्न कारण हो सकते हैं :
    • अगर बच्चा एक अजीब स्थिति में लेटा हुआ हो या बहुत घूम रहा हो।
    • अगर आप औसत वजन से ऊपर हैं।
    • अगर आपके शरीर के टिशू ज्यादा हैं।

    आइए, अब आपको बताते हैं कि एनॉमली स्कैन के परिणाम का क्या मतलब होता है।

    एनॉमली स्कैन के परिणाम का क्या मतलब होता है?

    एनॉमली स्कैन की मदद से गर्भ में पल रहे शिशु के बारे में निम्नलिखित बातों का पता लग सकता है –

    • सिर व दिमाग का आकार और विकास।
    • शिशु के चेहरे का विकास।
    • रीढ़ की हड्डी और आसपास की हड्डियों का विकास।
    • दिल और उसके बाकी हिस्सों का विकास।
    • पेट, किडनी, मूत्राशय और आंत का विकास।
    • हाथ, पैर और उनकी उंगलियों का आकार और विकास।
    • नाल की स्थिति और विकास।
    • पेट के आकार को चेक करना (Abdominal circumference) की जांच।
    • हाथ की हड्डी की लंबाई।
    • जांघ की हड्डी की लंबाई।
    • एमनियोटिक द्रव की मात्रा।

    क्या दूसरी तिमाही में मुझे और भी अल्ट्रासाउंड स्कैन करवाने होंगे?

    यह पूरी तरह आपके स्वास्थ्य और शिशु के विकास पर निर्भर करता है। आपकी डॉक्टर निम्न कारणों से आपको दूसरी तिमाही में ज्यादा स्कैन करवाने के लिए कह सकती है –

    • आपके गर्भ में जुड़वां या इससे अधिक शिशु पल रहे हैं
    • आपके एनॉमली स्कैन में पता चला है कि अपरा नीचे की तरफ स्थित है
    • आपको योनि से रक्तस्त्राव या खून के धब्बे आ रहे हैं
    • एनॉमली स्कैन में आपकी गर्भावस्था में कुछ समस्याओं का पता चला है, जिनका निरीक्षण करना जरुरी है
    • आपको मधुमेह या या हाई ब्लड प्रेशर जैसी चिकित्सकीय स्थिति है
    • आपका समय से पहले प्रसव या गर्भावस्था के बाद के चरण में गर्भपात का इतिहास रहा है

    आपका शिशु अनुमानित दर से नहीं बढ़ रहा है और इंट्रायूटेरीन ग्रोथ रेस्ट्रिक्शन (आईयूजीआर) की समस्या है.

    Conclusion –

    आज के इस पोस्ट “Anomaly scan in Hindi ” के माध्यम से आपने जाना कि Anomaly scan क्या है और यह क्यों किया जाता है. एनॉमली स्कैन कब कराना चाहिए, एनॉमली स्कैन कराने का खर्च कितना पड़ता है और इस टेस्ट से पहले क्या करना चाहिए. इसके अलावा आपने जाना कि यह टेस्ट प्रेगनेंसी के दौरान क्यों कराया जाता है. इसलिए आशा करता हूं कि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा होगा और आपको उचित जानकारी मिली होगी.. 

    यदि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों और जरूरतमंदों तक जरूर पहुँचाए ताक् उन्हें भी इसकी जानकारी मिल सकें.. धन्यवाद. 

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