तुलसी के फायदे – benefit of Tulsi in Hindi

तुलसी के फायदे -benefit of Tulsi in Hindi

तुलसी के फायदे -benefit of Tulsi in Hindi
तुलसी के फायदे -benefit of Tulsi in Hindi

     तुलसी एक औषधीय पौधा

    The benefit of Tulsi in Hindi, uses of Tulsi

    दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं एक बहुत ही गुणकारी, लाभकारी पौधा ‘तुलसी ‘के बारे में आज हम उस पौधे के बारे में बात करने वाले हैं जो औषधीय गुणों से भरपूर है और जिनका विश्लेषण और जिसकी तुलना किसी अन्य वनस्पति पौधों से नहीं की जा सकती ,जी हां दोस्तों वह है ‘तुलसी ‘| तुलसी को हिंदू धर्म में जगत जननी का पद प्राप्त है ,दोस्तों इसे वृंदा भी कहा जाता है | हमारे वेद पुराणों में भी इसका जिक्र बहुत जोर शोरों से किया गया है दोस्तों हमारे वेद पुराणों में इनके महिमा इनकी शक्ति  और और इसके  सर्व रोग निवारण का बखान हमारे वेदों में भरे पड़े है| यह औषधीय पौधा जीवनदायिनी है और इसे  प्रत्यक्ष देव माना जाना इस बात पर भी आधारित है कि ऐसी सस्ती दुर्लभ सुंदर और उपयोगी वनस्पति (औषधीय पौधा) मनुष्य समुदाय के लिए और कोई नहीं हो सकती जो अनेक गुणों को अनेक औषधीय चमत्कारी गुणकारी हो|

    शुक्राणु क्या है और शुक्राणु बढ़ाने के उपाय

    कैसे करें तुलसी की पहचान?

    तुलसी का पौधा हमेशा हरा भरा होता है और इनके पत्ते छोटे तथा गोलाकार रूप में होते हैं|इस पौधा को मार्च से जून तक लगाया जाता है, सितंबर और अक्टूबर में यह फूलता है और सारा पौधा सुगंधित मंजरीयों से लध जाता है | जाड़े के दिनों में इसके बीज पकते हैं ,इसेे 12  माह किसी ना किसी रूप में प्राप्त किया जा सकता है| तुलसी की  बहुत सारी प्रजातियां हमारे देेश और हमारे देश से बाहर भी पाई जाती है|

     तुलसी के प्रकार:-

    दोस्तों तुलसी के विभिन्न प्रकार होते हैं जिसमें से कुछ है–

    •  Ocimum American (काला तुलसी)
    • गंभीरा या  गामरी
    • Ocimum   बेसिलिकम मिनिमम
    • Ocimum  बेसिकिम (मरुआ तुलसी) 
    • Ocimum मुञ्जारिकी या सुरसा 
    • Ocimum  गरेटीकम (राम तुलसी, वन तुलसी)
    • Ocimum  कीलीमंडचेरीकम (कपूर तुलसी)
    •  Ocimum  सेक्टम तथा 
    • Ocimum  विरीडी 
                                इनमें से असीमम सेक्टम को प्रधान या पवित्र तुलसी माना जाता है इसकी भी दो प्रधान जातियां हैं -श्री तुलसी -जिसकी पत्तियां हरी होती है तथा कृष्ण तुलसी -जिसकी पत्तियां नीलाभ कुछ बैगनी रंग के होती है| श्री तुलसी के पत्ते तथा शाखाएं उजली होती है जबकि कृष्ण तुलसी के पत्ते और शाखाएं  कृष्ण रंग(नीली)  के होते हैं गुण धर्म की दृष्टि से काली तुलसी को ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है|
    तुलसी के फायदे -benefit of Tulsi in Hindi
    Krishna tulsi

    तुलसी की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि:-

    तुलसी को देवीय गुणों से संपूर्ण मानते हुए इसके विषय में अध्यात्म ग्रंथों में काफी कुछ लिखा गया है इसे संस्कृत में “हरी प्रिया “कहते हैं इस औषधि की उत्पत्ति से भगवान कृष्ण का मन संताप दूर हो गया,  इसी कारण यह नाम दिया गया है| ऐसा विश्वास है कि तुलसी के जड़ में सभी तीर्थ, मध्य में सभी देवी देवताओं और ऊपरी शाखाओं में सभी वेद स्थित हैं| इस पौधे की पूजा विशेषकर स्त्रियों करती है वैसे वर्षभर तुलसी के थावले का पूजन होता है परंतु विशेष रूप से कार्तिक मास में इसे पूछते हैं ऐसा कहा जाता है कि जिस के मृत शरीर का दहन तुलसी की लकड़ी की अग्नि से क्या जाता है वह मोक्ष को प्राप्त होता है और उसका पूर्ण जन्म नहीं होता है |
                    जहां तुलसी का एक पौधा होता है वहां ब्रह्मा, विष्णु ,महेश तभी निवास करते हैं और वेदों में यह भी कहा गया है कि तुलसी की सेवा करने से महापाप भी उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं जैसे सूर्य के उदय होने से अंधकार नष्ट हो जाता है और हमारे ऋषि-मुनियों के अनुसार जहां तुलसी नहीं होती उसे भगवान भी स्वीकार नहीं करते हैं और इसको प्रत्यक्ष देव मानने और घर-घर में इसे लगाने ,पूजा करने के पीछे संभवत एक कारण हो सकता है कि यह एक  सर्वदोष निवारक औषधी  है तथा यह बहुत ही आसानी से सबको सभी जगह मिल जाता है|
                             
    तुलसी से कैसे करें रोगों को दूर:-

    आयुर्वेद में तुलसी का एक अपना ही महत्वपूर्ण स्थान है दिल की बीमारी हो, दांत का कीड़ा हो ,बाल झड़ना, मुंह की दुर्गंध, रतौंधी ,पीलिया इत्यादि जैसी समस्याएं हो इन सभी समस्याओं को हम तुलसी के औषधीय पौधे के द्वारा उपचार कर सकते हैं चलिए आज हम इसी के बारे में जानते हैं कि हमारे दैनिक कार्यक्रम में तुलसी का कहां-कहां प्रयोग कर सकते हैं और किस किस बीमारियों में हम तुलसी का उपयोग कर अपने आप को सुरक्षित और स्वस्थ बनाए रख सकते हैं|

    दैनिक कार्यक्रम में तुलसी का प्रयोग-

    •  कार्तिक महीने में प्रतिदिन सुबह खाली पेट दो से तीन तुलसी के पत्ते चबाकर खाने से साल भर कोई बीमारी नहीं होती है तुलसी पत्ता का प्रयोग कार्तिक महीने में मौसम में शरीर को निरोग रखता है|
    • तुलसी का पौधा स्वभाव सात्विकता एवं मन की शांति लेकर आता है इसके पास बैठने या खड़े होने पर मानसिक एकाग्रता जन्म लेती है तथा हमारा मन हर्षित रहता है|
    • चंद्र ग्रहण एवं सूर्य ग्रहण के समय तुलसी पत्ता पीने वाले पानी एवं खाने वाले वस्तुओं में रख देना चाहिए इससे ग्रहण के समय दूषित वायु का प्रभाव उस पर नहीं पड़ता है|
    • तुलसी के पौधे को आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक माना गया है तुलसी पौधे के नीचे दीप जलाने एवं तुलसी पौधे की चारों तरफ परिक्रमा करने से अपूर्व मानसिक शांति मिलती है|
    •  तुलसी के गंध से रक्त विकार नष्ट होता है|
    • स्नान करने वाले जल में तुलसी का पत्ता डालने से कुछ देर बाद स्नान करने से कोई चर्म रोग नहीं होता है |
    •  पीने वाले जल में तुलसी पत्ता डालकर रखने से पेट संबंधी कोई बीमारी नहीं होती है|
    • तुलसी की माला पहनने से शरीर हमेशा फुरतीमय एवं स्वस्थ रहता है|
    •  तुलसी पता चबाने से दांत में कीड़ा नहीं लगता है और दांत मजबूत एवं चमकीला रहता है|

    तुलसी पत्ते के रस से मालिश करने पर हड्डियां मजबूत होती है शरीर निरोग होता है तथा साबुन तेल क्रीम की जगह तुलसी का प्रयोग करने से विभिन्न प्रकार की शारीरिक स्वस्थता मिलती  है|

    विभिन्न रोगों में तुलसी का प्रयोग –

    1.  दांत  के कीड़ा में तुलसी का उपयोग-तुलसी के पत्ते के रस के साथ कपूर मिलाकर उसे  दांत के नीचे दबाकर अच्छे तरीके से रखना चाहिए जिससे दांत में कीड़ा नहीं लगता है|
    2. पीलिया मैं तुलसी का उपयोग-शरीर में रक्त की कमी होने पर पीलिया रोग हो जाता है दोस्तों पूरा शरीर पीले रंग का हो जाता है इसी रोग को अंग्रेजी में “जॉन्डिस ” कहते हैं इसके लिए दोस्तों आपको मूली एवं तुलसी -ब्लड की कमी दूर करने के लिए सर्वोत्तम है, 10 ग्राम तुलसी रस, 50 ग्राम मूली रस के साथ मिलाकर उसमें गुड़ डालकर खाने से यह रोग ठीक हो जाता है इसे 1 महीने तक लगातार दिन में तीन बार खाना चाहिए| 3 ग्राम तुलसी पत्ता, 3 ग्राम  पूर्णनवार जड़ को एक साथ पीसकर 50 ग्राम पानी में मिलाकर सेवन करना चाहिए | शरीर का रंग रक्त की कमी के कारण जो पीला हो जाता है वह ठीक हो जाता है और रोगी स्वस्थ हो जाता है|
    3. बालों का झड़ना-इसके लिए तुलसी की 21 पत्ती एवं आंवला चूर्ण का 10 ग्राम 1 बड़े बर्तन में लेकर उसमें पानी डाल लें और 10 से 15 मिनट बाद उस पानी से सिर अच्छी तरह से भिगो लें ताकि बाल के जड़ तक  पानी पहुंच सकें जब फिर सुख ( dry) हो जाए तो साफ पानी से धोकर नारियल तेल लगाएं ऐसा करने से बाल मजबूत तथा काले होंगे और बाल नहीं टूटेगा |
    4. मुंह की दुर्गंध को कैसे करें खत्म-खाना खाने के बाद एक या दो तुलसी की पत्तियां प्रतिदिन चबाना चाहिए इससे मुंह की दुर्गंध दूर होती है और दांतों में कीड़ा नहीं लगता है और पहले से लगा हुआ कीड़ा नष्ट हो जाता है तथा जबड़े का दोस्त भी ठीक हो जाता है|
    5.  तुलसी से कड़े कब्ज का उपचार-पेट साफ  नहीं रहने या पखाना ठीक से ना होने पर, गले पर भी इसका प्रभाव पड़ता है खांसी के साथ-साथ सिर में दर्द भी होता है तो इस अवस्था में- 20 ग्राम तुलसी के पत्ते के साथ 50 ग्राम गुलाबी फिटकरी पीसकर मटर की तरह इसकी गोली बना लें और इसे छाया में सुखा ले.. एक एक गोली सुबह तथा शाम को पानी के साथ खाना चाहिए ऐसा करने से कब्ज  कष्ट की सारी समस्याएं दूर हो जाती है|
    6. आंख फूल जाने पर क्या करें-यह एक संक्रामक रोग है ठंडा गर्म मौसम अचानक परिवर्तन होने के कारण हमारी आंखें खुल जाती है इस अवस्था में हमें तुलसी पत्ता का रस आंख पर काजल की तरह लगाने चाहिए या रस में थोड़ा-सा शहद मिलाकर आंख में एक-एक बूंद डालना चाहिए इस प्रकार से आंख फूलना, आंख से पानी निकलना बंद हो जाता है|
    7. कम सुनाई देना-कान से कम सुनाई या श्रवण शक्ति कम होने पर तुलसी रस को हल्का गर्म कर सुबह शाम बूंद-बूंद कर कान में डालने से लाभ होता है|
    8. शीघ्रपतन- शीघ्रपतन में तुलसी जड़ का एक टुकड़ा सुपारी के रूप में पान में रखकर खाए ऐसा करने से शीघ्रपतन दूर होता है|
    9. स्वप्नदोष-यह बीमारी युवकों में होती है घोर निद्रा के समय स्वप्नदोष के  कारण  शीघ्रपतन हो जाता है इस अवस्था में तुलसी जड़ को चूर्ण बनाकर के खाने से अत्यधिक लाभ होता है|
    10.  गंजापन को करें दूर-गंजापन एक भयानक रूप की तरह देखा जाता है रक्त में दूषित पदार्थ होने से या होता है ऐसी अवस्था में- पीपल की कली तथा तुलसी पत्ता एक साथ पीसकर सिर पर लगाए इस तरह आपका गंजापन ठीक हो जाएगा|
    यह पोस्ट आपको कैसा लगा यह कमेंट करके जरूर बताएं और यदि आपको इसमें कोई त्रुटि नजर आती है तो वह भी बताएं यदि यह आपकी समस्या निवारण में सहायक हो तो इसे और भी शेयर करें…. धन्यवाद…

    Leave a Comment