Photosynthesis in Hindi | प्रकाश संश्लेषण किसे कहते हैं?

 Photosynthesis in Hindi | प्रकाश संश्लेषण किसे कहते हैं? 

नमस्कार स्वागत है आपका आज के इस पोस्ट “Photosynthesis in Hindi” अर्थात प्रकाश संश्लेषण क्या है में. आज आप जानेंगे कि प्रकाश संश्लेषण किसे कहते हैं और प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया का रासायनिक समीकरण क्या होता है. साथ ही प्रकाश संश्लेषण से जुड़ी और भी कई महत्वपूर्ण जानकारी मिलने वाली है. अत: आशा करता हूं कि आप इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ेगें और समझेंगें. 

Photosynthesis in Hindi | प्रकाश संश्लेषण किसे कहते हैं?
Photosynthesis in Hindi. 

    प्रकाश संश्लेषण किसे कहते हैं? (What is Photosynthesis in Hindi).

    प्रकाश संश्लेषण की परिभाषा –

    हरे पेड़ पौधे सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा प्राप्त कर क्लोरोफिल की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल के द्वारा अपने भोजन कार्बोहाईड्रेट (कार्बनिक पदार्थ) का संश्लेषण करते हैं ,इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं.

                                 या,

     जिस प्रक्रिया द्वारा पौधे अपना भोजन तैयार करते हैं उस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण करते हैं.

     सभी पेड़ पौधे अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं जिसे तैयार करने के लिए सूर्य के प्रकाश और क्लोरोफिल की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड और जल की आवश्यकता होती है.

     चलिए आप जानते हैं कि प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को हम रसायनिक समीकरण द्वारा कैसे व्यक्त कर सकते हैं और प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में कौन कौन से प्रमुख घटक होते हैं.

     प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया का रासायनिक समीकरण-

     जैसा कि आपको पता चल गया होगा कि प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में जल और कार्बन डाइऑक्साइड की जरूरत होती है इस प्रक्रिया को हम रासायनिक समीकरण के रूप में लिख सकते हैं. प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया का रासायनिक समीकरण कुछ इस प्रकार से लिखा जा सकता है या व्यक्त किया जा सकता है.-

    6 CO2 + 12 H2O + प्रकाश + क्लोरोफिल → C6H12O6 + 6 O2 + 6 H2O 

     इस रासायनिक समीकरण की प्रक्रिया में आपको पता चल गया होगा कि प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में ऑक्सीजन एक उत्पाद के रूप में बनता है. जो पुन: पौधे द्वारा वायुमंडल में छोड़ दिया जाता है,जिसे हम स्वशन करते हैं.

     प्रकाश संश्लेषण का स्थान-

     प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया शुरू से अंत तक क्लोरोप्लास्ट में ही होती है. पत्तियों के पेलिसेड तथा स्पंजी पैरेंकाइमा में अनेक क्लोरोप्लास्ट भरे रहते हैं. इन कणों की रचना एवं कार्य दोनों ही बड़े जटिल होते हैं.

     क्लोरोप्लास्ट में ही क्लोरोफिल वर्णक पाए जाते हैं. चूँकि ये अधिकांशत: पौधों की पत्तियों में पाए जाते हैं इसलिए पत्तियों को प्रकाश संश्लेषण अंग भी कहा जाता है एवं हरित लवकों को प्रकाश संश्लेषणी अंगक कहा जाता है.

     पत्तियों की बाहरी त्वचा या एपिडर्मिस में रंध्र या स्टोर माता मौजूद होते हैं.यह विशेष कोशिकाएं होती है जिनके बीच में एक छिद्र होता है और यह छिद्र बंद और खुल सकता है. जिनका नियंत्रण द्वार कोशिकाओं या गार्ड सेल्स द्वारा होता है. इन्हीं रंद्रों द्वारा  वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त होता है. गार्ड द्वार कोशिका,जल अवशोषित कर फूल जाती है तो यह रंघ्र खुल जाता है. और जब द्वार कोशिका से जल बाहर निकल जाता है तो यह सिकुड़ जाती है और रंध्र बंद हो जाता है.

     अभी तक आपने जाना कि प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया क्या होती है या प्रकाश संश्लेषण किसे कहते हैं और प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया पौधे के किस भाग या किस स्थान में पूर्ण होती है. चलिए आप जानते हैं कि प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए कौन-कौन से आवश्यक घटक हैं.

     प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए आवश्यक पदार्थ-

     प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए मुख्यता चार पदार्थों की आवश्यकता होती है. जिससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया पूर्ण होती है चलिए जानते हैं वह कौन से चार पदार्थ हैं या घटक हैं –

    1. पर्णहरित या क्लोरोफिल 
    2. कार्बन डाइऑक्साइड
    3.  जल और 
    4. सूर्य का प्रकाश

     प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए इन चारों चीजों की जरूरत होती है. चलिए आप इनके बारे में विस्तार से जानते हैं कि प्रकाश संश्लेषण में इनका क्या होता है और कौन सी प्रक्रिया होती है.

     पर्णहरित या क्लोरोफिल-

     जैसा कि आपको पता होगा की पत्तियों का रंग क्लोरोफिल के कारण ही हरा होता है.कई लोग समझते हैं कि प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया केवल हरे पादपों में होता है, परंतु यह सत्य नहीं है वास्तव में पेड़ पौधे का हरा होना आवश्यक नहीं होता है क्योंकि ऐसे भी कई प्रकार के पौधे होते हैं जिनका रंग लाल या भूरा होता है और उसमें भी प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया होती है.

    इसलिए किसी भी पौधे में प्रकाश संश्लेषण के लिए उसके रंगों का होना अनिवार्य नहीं होता है बल्कि उसमें उपस्थित क्लोरोफिल के कारण ही प्रकाश का संश्लेषण हो पाता है.इसलिए सूर्य का प्रकाश ही ऐसा घटक है जिसके द्वारा प्रकाश संश्लेषण की  प्रक्रिया संभव हो पाती है. इसलिए क्लोरोफिल अणु को प्रकाश संश्लेषी इकाई कहा जाता है.

     कार्बन डाइऑक्साइड-

     प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में पेड़ पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं. इन्हीं छोड़े हुए ऑक्सीजन को हम लोग स्वसन के रूप में लेते हैं. पेड़ पौधे आवश्यक कार्बन डाइऑक्साइड को अपने वातावरण से प्राप्त करते हैं. कार्बन डाइऑक्साइड का सबसे बड़ा भंडार वायुमंडल ही है परंतु वायुमंडल में इसके अलावा और भी कई गैस अलग-अलग मात्रा में पाई जाती है. 

    जिसमें सामान्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड 0.03 प्रतिशत अर्थात 10000 भाग में से सिर्फ तीन भाग कार्बन डाइऑक्साइड मौजूद होता है.इसके अलावा लकड़ी कोयला और अन्य प्रकार के इंधनों के जलने से जीवाणु के अपवर्तन द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड गैस वायुमंडल में मुक्त होता है.

    जल (water) –

     जब भी आपको ही पौधा लगाते हैं तो आप उसमें जल जरूर डालते होंगे ताकि वह जल्दी से बढ़ सके और बड़ा हो सके. परंतु क्या आप जानते हैं कि पेड़ पौधे अपने भोजन का अधिकतर भाग जल से ही प्राप्त करते हैं तथा जल के ही कारण उसमें वृद्धि होती है. 

    प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए जल एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है. प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए जल कितना आवश्यक है. इसे आप इस बात पर भी समझ सकते हैं कि जब भी हम गजब भी किसान अपने खेतों में सही समय पर पानी नहीं देता है, तो उनका फसल मुरझा जाता है यानी मर जाता है. इसे आप समझ सकते हैं कि पौधे को उचित मात्रा में पानी नहीं मिलने के कारण उसमें प्रकाश संश्लेषण की क्रिया नहीं हुई जिस कारण से उसमें भोजन का निर्माण नहीं हुआ और वह मर गया. 

    इसलिए बोला जाता है कि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिए जल का होना बहुत ही आवश्यक होता है जल्द सिर्फ पौधों के लिए ही नहीं बल्कि प्रत्येक जीव के लिए अति आवश्यक होता है.

     प्रकाश संश्लेषण के लिए पौधों को नियमित रूप से जल की आवश्यकता होती है. पौधों अपनी जड़ों के द्वारा भूमि से जल और उसमें घुले खनिज लवणों का भी अवशोषण करते हैं.

     पौधे जल में घुले खणिज लवणों, जैसे- नाइट्रोजन, फास्फोरस ,कैलशियम, मैग्निशियम,लोहा इत्यादि कार्बनिक यौगिकों का अवशोषण करते हैं.नाइट्रोजन से प्रोटीन एवं अन्य पोषकतत्वों का संश्लेषण होता है. जड़ द्वारा ग्रहण किया गया जल जाईलम उत्तकों द्वारा पौधों के विभिन्न भागों में एवं पत्तियों में पहुंचता है ,जहां प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में इसका उपयोग होता है.

    सूर्य का प्रकाश 

     प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए सूर्य का प्रकाश बहुत ही आवश्यक होता है. सूर्य का प्रकाश इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि सूर्य के प्रकाश के बिना प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पूरी नहीं हो सकती और पौधे केवल सूर्य के प्रकाश में ही कार्बन डाइऑक्साइड को शुद्ध  कर सकते हैं.

    अंधेरे में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया संपन्न नहीं हो सकती क्योंकि सूर्य की रोशनी ही इसके लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करती है.

     हरे पौधों में पाए जाने वाले हरित लवको में मौजूद क्लोरोफिल ही प्रकाश में मौजूद सौर ऊर्जा को विकिरण ऊर्जा में बदल सकते हैं एवं  रासायनिक ऊर्जा में बदल कर संश्लेषित गुलकोज के अणुओं में बदल सकते हैं.

    प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया कैसे होती है? 

     प्रकाश संश्लेषण की जटिल क्रिया में हरे पौधे विकिरण ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं.जब सूर्य का प्रकाश हरी पत्तियों पर पड़ता है तब क्लोरोफील विकिरण ऊर्जा का अवशोषण करता है तथा इस ऊर्जा के द्वारा हरी पत्तियों में उपस्थित जल दो भागों में अर्थात हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बदल जाता है. 

    इनमें ऑक्सीजन स्टोमाटा द्वारा बाहर निकलकर वायुमंडल में मिल जाता है और हाइड्रोजन कार्बन डाइऑक्साइड से मिलकर गुलकोज बनाता है.

     प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में प्रकाश की आवश्यकता नहीं पड़ती है लेकिन प्रकाश जल को व्यक्त करने में यानी जल का प्रकाशिक अपघटन के लिए आवश्यक होता है.

    Last word –

    दोस्तों आपने आज के इस पोस्ट ” Photosynthesis in Hindi ” के माध्यम से प्रकाश संश्लेषण के बारे में जाना और साथ ही प्रकाश संश्लेषण जुड़े कई महत्वपूर्ण जानकारीयों को भी जाना.आशा करता हूँ कि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा होगा और यदि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें और यदि कोई सुझाव हो तो वह कमेंट करके जरूर बताएं.धन्यवाद.

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